5 Tips about भाग्य Vs कर्म You Can Use Today
5 Tips about भाग्य Vs कर्म You Can Use Today
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क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान शिव हमेशा बाघ की खाल पर ही क्यों बैठते हैं?
ज्योतिष कर्मशास्त्र का ही एक हिस्सा है भाग्य को here कोई काट नहीं सकता, भाग्य ने जो लिख दिया समझो लिख दिया। इस बात से डरने की कोई वजह नहीं, क्योंकि भाग्य भी हम ही बनाते हैं।
क्या राम और कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार नहीं हैं?
खासतौर से अभय दीक्षित जी ने और अटूट बन्धन ब्लॉग से वंदना बाजपेयी जी ने तो इस वाद-विवाद प्रतियोगिता का स्तर काफी ऊँचा कर दिया.
(मुझे लगा जैसे मैं अपने ही बनाये हुए जाल में फंस रहा था)
स्वास्थ्यमुंह की बदबू ने कर रखा है परेशान, आजमाएं ये घरेलू नुस्खे
ये मंजिलें तय करने के लिए उन्हें बहुत मेहनत और योजनाबद्ध तरीके से काम करना पड़ा
पर हम किसी लगातार सफल व्यक्ति के ये गुण खुद में उतारने के स्थान पर लगेंगे भाग्य को दोष देने
पुण्यतिथि पर विशेष
ज्योतिष तो समय और कर्म की ही बात करता है। ज्योतिष कहता है कि इस समय में ऐसे कर्म करो और भाग्य बदल जाएगा, मगर मैं तुम्हें लिखकर दे सकता हूं कि भाग्य नहीं बदल सकता।
मैं-मैं समझ गया, ज्योतिष जैसे दुर्लभ और विराट विज्ञान को समझने के लिए आचार्य जी मुझे तैयार कर रहे थे। मैं शांत मन से उनके पास बैठ गया और फिर उनसे इस गंभीर विषय को समझना शुरू किया।
आचार्य जी-नहीं, न ज्योतिष सीखना समय की बर्बादी है और न ही उसका लाभ उठाना। मगर हमें यह जानना अति आवश्यक है कि हम कर्म और भाग्य दोनों के महत्त्व को समझें और जान सकें, वरना ज्योतिष सीख कर भी तुम ऐसे सवालों का जवाब किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं दे पाओगे जो इसमें फर्क समझना चाहता है।
कर्म की मुख्य अवधारणा यह है कि सकारात्मक कार्य से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है और नकारात्मक कार्य का परिणाम नकारात्मक होता है। इन दोनों के बीच कारणिक संबंध व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति को शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रतिदिन निर्धारित करता है।
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